नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एक टिम्बर फर्म द्वारा गलत तथ्यों के साथ याचिका दायर करने पर याचिका को निरस्त करते हुए टिम्बर फर्म पर दस हजार का जुर्माना लगाया है । यह जुर्माना एक हफ्ते के भीतर हाईकोर्ट बार एसोशिएशन के खाते में जमा करनी होगी । मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार खटीमा उधमसिंहनगर की टिम्बर फर्म मैसर्स शकुंतला शर्मा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि याचिकाकर्ता साल्बोजी नंबर -1, तहसील खटीमा में 2005 से लकड़ी का अपना व्यवसाय चला रहा है ।
किन्तु वन विभाग के अधिकारियों ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना याचिकाकर्ता को परिसर से बेदखल करने व उक्त परिसर में जाने से रोक दिया है । याचिका में विभाग के इन आदेशों पर रोक लगाने की अपील की गई थी ।
दूसरी ओर वन विभाग व सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता बिना किसी लाइसेंस या वन विभाग की अनुमति के जंगल के अंदर लकड़ी का कारोबार चला रहा है। ऐसी अवैध गतिविधि, जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
एकलपीठ ने इन तथ्यों के आधार पर रिट याचिका को 10 हजार रुपये जुर्माने के साथ खारिज करते हुए याचिककर्ता को सात दिनों के भीतर जुर्माने की राशि हाईकोर्ट बार एसोशिएशन के खाते में जमा करने के निर्देश दिए हैं ।