जिस व्यक्ति का अंतिमसं स्कार किया गया, वह जिंदा निकला। इसके बाद परिजनों ने उसके पुनर्जन्म की रस्म अदा करते हुए उसका नामकरण, जनेऊ एवं विवाह संस्कार विधि विधान से पुरोहित से संपन्न कराया। श्रीपुर विचवा में गलत शिनाख्त के चलते जिस नवीन चंद्र भट्ट का परिजनों ने अंतिम संस्कार किया था, उसके नाटकीय ढंग से जीवित मिलने के बाद परिजनों को खुशी तो बहुत हुई। लेकिन इससे एक समस्या भी पैदा हो गई। क्योंकि नवीन का अंतिम संस्कार करने के साथ ही पत्नी का भी सुहाग मिटाकर उसे विधवा का रूप दिया जा चुका था। इसलिए उसे दोबारा सुहागन बनाने के लिए अनुष्ठान किया गया। गांव के वरिष्ठ लोगों के साथ मंत्रणा के बाद तय हुआ कि नवीन का पुनर्जन्म संस्कार किया जाएगा। हालांकि,बच्चों की तरफ से इसे लेकर आपत्ति की गई। लेकिन गांव के बुजुर्ग लोगों ने परंपरा का हवाला देते हुए उन्हें समझा दिया। इसके बाद पुरोहित आनंद बल्लभ जोशी को बुलाकर सबसे पहले नवीन का नामकरण संस्कार किया गया। इसके बाद प्रतीकात्मक तौर पर ही उसका जनेऊ और विवाह संस्कार भी किया गया। पत्नी का सुहागन रूप वापस लौटाया। गया। नवीन भट्ट का नाम बदलकर नारायण भट्ट किया गया है।
बताते चलें कि 23 नवंबर को रुद्रपुर से रेफर किए गए युवक की सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में इलाज के दौरान मौत हो गई। शव मोर्चरी में रखा गया था। उसकी जेब से श्रीपुर विचवा निवासी नवीन चंद्र भट्ट का फोटो और कोरोना काल के समय का फ्री इंप्लायमेंट मेडिकल चेकअप फॉर्म मिला था। नवीन के रूप में शिनाख्त कर परिजन शव को ले आए। 26 नवंबर को बनबसा घाट पर उसकी अंत्येष्टि कर दी थी। इस बीच, नवीन के बुधवार देर शाम घर आने पर परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
गुरुवार को नवीन के पुनर्जन्म संस्कार की रस्म अदा की गई। क्षेत्र में बुधवार से चर्चित हुआ यह प्रकरण सोशल मीडिया के जरिए देश-विदेश में पहुंच गया है। देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में बसे लोग भी अपने खटीमा के परिचितों से फोन पर इस घटना के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।