नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने दो दशक पूर्व 2001 में गौलापार स्थित बैंक आफ बड़ोदा में हुई लूटपाट के दो आरोपियों को साक्ष्य के अभाव मे बरी कर दिया है। जबकि तीन आरोपी उसी दिन मौके पर ही मारे गए थे। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार 7 अगस्त 2001 को बैंक आफ बड़ोदा की शाखा गौलापार में तमंचे व हथियारों के दम पर बैंक कर्मचारियों व प्रबन्धक को बंदी बनाकर लगभग बत्तीस हजार का कैस लूट लिया गया था। किंतु लूटपाट कर रहे तीन अन्य आरोपियों को भागते हुए पुलिस व ग्रामीणों ने मार डाला था। पकड़े गए दो आरोपियों पूरन सिंह लटवाल व रमेश खरवाल को निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 395 व आर्म्स एक्ट में दस साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश को दोनों के द्वारा उच्च न्यायलय में अपील दायर कर चुनौती दी गयी थी। अभियुक्त 2018 से जेल में बंद थे। याचीगणों के अधिवक्ताओं द्वारा सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि दोनों ही अभियुक्तों को शिनाख्त परेड गवाहों के सम्मुख नहीं की । तीन मृतक अभियुक्तों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई थी। इसके अतिरिक्त कथित वाहन जिससे घटना को अंजाम दिया गया बताया गया उसके चालक को भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया और कहा गया कि आरोपी घटना में शामिल नहीं थे । अभियुक्तों को बैंक में जाते किसी ने भी नहीं देखा। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।