नैनीताल । उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, कैदियों की रहने की व्यवस्था, उनकी मानसिकता का विकास करने,स्वास्थ्य और मानदेय को बढ़ाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
आज हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का कई साल बीत जाने के बाद भी अनुपालन न करने पर राज्य के गृह सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक इसका अनुपालन करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर 30 सितंबर से पहले राज्य सरकार इसका अनुपालन कर लेती है तो अवमानना की कार्यवाही वापस लेने के लिए कोर्ट को अवगत कराएं या प्रार्थनपत्र दें।
मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर की तिथि नियत की है। आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में हुई। कई सालों से उच्च न्यायलय जेलों की व्यवस्थाओं को लेकर सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का पालन कराने हेतु बार बार राज्य सरकार को दिशा निर्देश देता आ रहा है परन्तु राज्य सरकार न सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का पालन कर रही है न ही उच्च न्यायलय के आदेश का। जबकि सर्वोच्च न्यायलय ने जेलों की सुधारीकरण हेतु सभी राज्यो को एक साथ आदेश दिए थे। कई राज्यो ने इसका पालन कर लिया, परन्तु कई साल बीतने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया ।उच्च न्यायलय द्वारा 2015 से इस आदेश का अनुपालन कराने हेतु दिशा निर्देश दिये जा रहे हैं।
मामले के अनुसार सन्तोष उपाध्याय व अन्य ने अलग अलग जनहित याचिकाएँ दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए थे।