बड़ी उपलब्धि-:
नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी (एफ़ एन ए) सम्मान प्रदान किया है। यह सम्मान देश में विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सर्वोच्च उपलब्धियों में से एक माना जाता है।
गौरतलब है कि पूर्व में इस सम्मान को एफ़ एन आई (फेलो ऑफ द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ऑफ इंडिया) कहा जाता था। वर्ष 1970 में संस्थान का नाम बदलकर इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी कर दिया गया, जिसके बाद एफ़ एन ए, हो गया।
प्रो. रावत को यह सम्मान मेडिसिनल केमिस्ट्री में उत्कृष्ट योगदान, खासतौर पर पार्किंसन रोग पर शोध कार्य के आधार पर मिला है। उनकी प्रमुख परियोजना वर्तमान में ह्यूमन ट्रायल चरण में है, जिसने गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए नई आशा जगाई है।
उत्तराखंड को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में यह उपलब्धि 46 साल बाद मिली है। वर्ष 1979 में प्रो. डी.एस.भाकुनी (जो प्रो. रावत के शोध-निर्देशक रहे) को यह सम्मान मिला था। प्रो. रावत, प्रो.भाकुनी के अंतिम पीएचडी छात्र रहे हैं। इस प्रकार, 46 वर्षों बाद रसायन विज्ञान में राज्य के खाते में दूसरा एफ़ एन ए जुड़ा है।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय से अब तक तीन अन्य प्रख्यात वैज्ञानिक भी इस सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं ।जिनमें प्रो. के.एस. वाल्दिया (1980, भूविज्ञान), प्रो. एस.पी. सिंह (2003, पर्यावरण विज्ञान) शामिल हैं ।
प्रो. रावत के अब तक 175 शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं । उनके नाम कई पेटेंट भी हैं । पार्किसन रोग पर उनके द्वारा किये जा रहे शोध पर वे वैज्ञानिकों में चर्चि