*चन्द्र ग्रहण का साया इस बार कोजागिरी पूर्णिमा पर। क्या है कोजागिरी का अर्थ आइए जानते हैं। कथा, महत्व व  शुभ मुहूर्त ।
अश्विनी मास की पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा या शरद्पूर्णिमा कहते हैं। यह पूर्णिमा व्रत धन व समृद्धि का आशीष देती है। हिंदू धर्म में इस दिन को जागरण व्रत रखा जाता है। इसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है कि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का रिवाज है।
कोजागिरी पूर्णिमा को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है यह व्रत लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है।
कोजागिरी एक शब्द नहीं अपितु एक संपूर्ण वाक्य है। एक प्रश्नवाचक वाक्य।यह 3 शब्दों से मिलकर बना है। कोजागिरी का अर्थ है कौन जाग रहा है?
को जागि री(को+ जागि+री) यह कुमाऊनी भाषा के 3 शब्दों के संयुक्त होने से बना वाक्य है।
 जिसका अर्थ होता है कि कौन जाग रहा है? इस दिन मध्य रात्रि को माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है और कोजागिरी, कोजागिरी पुकारती है माता लक्ष्मी के जो भक्त जागरण कर रहे होते हैं उन्हें माता लक्ष्मी अनेक प्रकार के धन-संपत्ति आदि प्रदान करती है।
*शुभ मुहूर्त,,,,*
इस बार सन 2023 में दिनांक 28 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को कोजागिरी पूर्णिमा मनाई जाएगी इस दिन पूर्णिमा तिथि  48 घड़ी 40 पल अर्थात मध्य रात्रि 1:53 बजे तक है यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन रेवती नामक नक्षत्र दो घड़ी 40 पल अर्थात प्रातः 7:29 तक है तदुपरांत अश्विनी नामक नक्षत्र उदय होगा। यदि करण की बात करें तो इस दिन विष्टि नामक करण अर्थात भद्रा 21 घड़ी 35 पल अर्थात शाम 3:03 बजे तक है ।सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव प्रातः 7:30 बजे तक मीन राशि में विराजमान रहेंगे तदुपरांत चंद्रदेव मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
पाठकों को एक महत्वपूर्ण बात और बताना चाहूंगा कि इस बार शरद पूर्णिमा से संबंधित रात को रखी जाने वाली खीर इस बार नहीं रखी जाएगी। इस बार कोजागिरी पूर्णिमा से संबंधित पूजा अनुष्ठान भी शाम 4:05 से पूर्व पूर्ण कर लें।
हालांकि चंद्र ग्रहण मध्य रात्रि 1:05 से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 2:23:00 तक रहेगा परंतु सूतक काल 9 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है अतः शाम 4:05 बजे से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा।
इसलिए
मान्यताओं के अनुसार हर बार शरद पूर्णिमा पर रखी
जानेवाली खीरकी रात अमृत वर्षा के लिए रात को रखी जाने
वाली खीर इस बार नहीं रखी जा सकेगी।  ऐसा इस रात खंडग्रास चन्द्रग्रहण के कारण संभव नहीं
हो पाएगा। सूतक काल नौ घंटे पूर्व 28 अतक्तूबर की शाम से ही
शुरू हो जाएगा, इसलिए पूर्णिमा से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान
इस दिन शाम चार बजकर पांच मिनट से पूर्व ही संपन्न करने
होंगे।
इस दिन पूर्णमासी व्रत भी नहीं रखा जा सकता है क्योंकि व्रत उपवास चंद्रोदय के आधार पर ही तोड़ा जाता है उस समय सूतक काल होने के कारण व्रत उपवास भी संभव नहीं होगा। ग्रह अनुष्ठान आदि करना एवं पितृ तर्पण आदि करना अति उत्तम होगा ।
लेखक–: पण्डित प्रकाश जोशी,गेठिया नैनीताल ।

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