नैनीताल । साहित्य अकादमी पुरुस्कार प्राप्त कुमाउनी साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल की स्मृति में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल में बच्चों के बीच विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

मठपाल की दूसरी पुण्य तिथि (9 मई) की पूर्व संध्या पर बच्चों ने हमरी दुदबोलि, हमरी पछ्याण के तहत मठपाल की कविताओं का वाचन करने के साथ साथ कुमाउनी में लोकभाषा के विकास पर बातचीत रखी।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह मौजूद रहे।कार्यक्रम में तय किया गया कि भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में प्रत्येक कक्षा के सप्ताह में दो वादन कुमाऊनी के होंगे।

इस मौके पर शहीद सैनिक स्कूल के पुस्तकालय में एक कोना लोकभाषा साहित्य का भी विधिवत उद्घाटन किया गया।जिसमें उत्तराखंड लोकसहित्य की पुस्तकें बच्चों के लिए उपलब्ध होंगी।मुख्य अतिथि राजीवलोचन साह ने कहा दुदबोलि अर्थात दूध की बोली जो हमारी मां से हमको मिली है को कैसे बचाया जाए और नवसृजन की भाषा बनाया जाए ही स्व० मठपाल की हमेशा चिंता का विषय रहा।मठपाल ने अपनी व्यक्तिगत रचनात्मकता के साथ-साथ सामूहिक रचनात्मकता को जिस प्रकार बढ़ावा दिया इसके लिए वह हमेशा याद रखे जाएंगे ।सिर्फ कुमाउनी ही नहीं बल्कि गढ़वाली और नेपाली साहित्य को भी अपने द्वारा संपादित पत्रिका दुदबोलि में उन्होंने जितना स्थान दिया वह निश्चित रूप से उनके व्यापक नजरिए को परिलक्षित करता है।

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रामगंगा प्रकाशन के माध्यम से उन्होंने अनेकानेक दुर्लभ साहित्य को भी प्रकाशित किया ।उनके काम ने उनको व्यक्ति के बजाए संस्था में तब्दील कर दिया।

रचनात्मक शिक्षक मंडल संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा भाषाएं हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं । हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जिसमें सांस्कृतिक विविधता है, भाषाई विविधता इसी सांस्कृतिक विविधता का हिस्सा है। हिमालय क्षेत्र के लोग भाषाई विविधता के हिसाब से बहुत संपन्न हैं। उत्तराखंड में ही डेढ़ दर्जन से अधिक भाषाएं,बोलियां बोली जाती हैं ।हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा बहुभाषी है।तीन तीन भाषाएं तक लोग सामान्य रूप से बोलते मिल जाएंगे, यह परंपरा मध्य काल से चली आ रही है मध्यकाल में भी हमारे रचनाकार एक  ओर संस्कृत में लिख रहे थे दूसरी ओर कुमाउनी, गढ़वाली में भी ।हमारे यहां अवधि ब्रज का भी असर साफ साफ देखा जा सकता है। विद्यालय के प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता ने कहा भाषाई विविधता का संरक्षण और विस्तार कैसे हो यह आज हमारी चिंता का विषय होना चाहिए।कक्षा 12 की दीपिका,चेतना,सूरज जीना, दक्षिता व आकांक्षा ने लोकभाषा विकास पर बातचीत रखी।प्रतिभागी बच्चों को पुरुस्कृत भी किया गया।विद्यालय की शिक्षिका दिव्या ढैला ने श्री मठपाल की अनेक कविताओं का वाचन किया।मुख्य अतिथि को शाल पहनाकर सम्मानित भी किया गया।।संचालन डा नीलम जोशी ने किया।इस मौके पर प्रवीण सती,आलोक कुमार,गोबिंद सिंह बोरा,उत्कर्ष बोरा, डा रेनू,शाहनवाज,मीनाक्षी,मुक्त,गीतिका,अवंतिका मौजूद रहे।

By admin

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