देहरादून । आशा फेसलिटेटर्स व कार्यकर्ताओं द्वारा कल 26 अप्रैल को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी  विरोध प्रदर्शन कर रही हैं । इस आंदोलन में उत्तराखण्ड की आशा फेसलिटेटर्स व कार्यकर्ता भी शामिल होंगे और सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन होगा ।

मंगलवार को उत्तराखण्ड प्रेस क्लब देहरादून में संगठन के पदाधिकारियों ने इस प्रदर्शन को लेकर की जा रही तैयारियों की विस्तृत जानकारी दी ।

आशा फैसिलिलेटर एवं कार्यकर्ता संगठन की जिला अध्यक्ष देहरादून लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि वे दवाएं, टीके, प्राथमिक चिकित्सा देने के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सलाह देने के अलावा कई अन्य सेवाएं भी देती हैं। लेकिन कम भुगतान, सुविधाओं की कमी और अनियमित काम के समय के खिलाफ  संघर्ष कर रही हैं  ।  महिला होने के कारण घर और नौकरी दोनों के बीच संतुलन बनान भी उनके लिये अहम है। उन्होने बताया कि इसी मांगों को लेकर आगामी 26 अप्रैल को पंडित दीन दयाल उपाध्याय पार्क से रैली निकाल कर जिला मुख्यालय पर विशाल विरोध प्रदर्शन किया जायेगा और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जायेगा।
इस मौके पर आशा फैसिलिलेटर संघ उत्तराखंड की प्रदेश महामंत्री रेनू नेगी ने कहा कि आशा फैसिलिटेटरों को 20 दिन का मोबिलिटी के स्थान पर 30 दिन का मोबिलिटी दी जाये, जबकि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 30 दिन का मोबिलिटी दी जा रही है। उत्तराखंड में आशा फैसिलिटेटर राज्य सरकार के अधीन स्वास्थ्य विभाग में आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों के रूप में वर्ष 2005 से अपनी लगातार सेवाएं दे रही है। जबकि प्रदेश में 11086 आशाओं का मार्गदर्शन आशा फैसिलिटेटरों द्वारा ही किया जा रहा है। प्रदेश में वर्तमान समय में 12,315 आशा कार्यकर्ती है जिनके ऊपर आशा फैसिलिटेटर उनके कार्य से सुचारू रूप से संचालित करने में सहयोग/निरीक्षण करती हैं।  क्षेत्रीय जनता एवं  महिलाओं को स्वास्थ्य व प्रसव के सम्बन्ध में जागरूक करना, स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान करना, टीकाकरण कराना तथा केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर संचालित स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य भी आशा फैसिलिटेटरों द्वारा किया ही किया जाता है।उन्होंने सरकार से मांग रखी कि 5 नियत न्यूनतम मानदेय आशा फैसिलिटेटर का निर्धारित किया जाए आशा फैसिलिटेटरो हेतु 24000 प्रतिमाह नियत की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रैली निकालने के बाद भी उनके मांगों पर सरकार के द्वारा विचार नहीं किया गया तो वह धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल और बडे आंदोलन के लिए विवश हो जाएंगे।
पत्रकार वार्ता में जिला महामंत्री संगीता रानी ने कहा कि कम वेतन मिलने तथा इतना सारा कार्य करने के बाद भी सरकार के द्वारा हमारे भविष्य के बारे में कभी भी विचार नहीं किया गया है। जबकि आशा एवं आशा फैसिलिटेटर एक गरीब परिवार से आती हैं जिनके ऊपर पूरा परिवार आश्रित है। कम वेतन मिलने के बाद वह अपने परिवार का पालन पोषण करने में लगातार असमर्थ हो रहे हैं।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You missed

You cannot copy content of this page