तीन शुभ योगों के संयोग में कल 1 अगस्त को मनाई जाएगी इस बार सावनाधिक पूर्णिमा।
इस बार 1 अगस्त को सावन अधिक मास पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस बार इस पूर्णिमा पर एकादशी व्रत की भांति ही 19 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि आइए जानते हैं ।
सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के आधार पर ही दिनों की गणना की जाती है। उसी के आधार पर त्यौहार और व्रत रखे जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार दिनांक 1 अगस्त 2023 दिन मंगलवार को सावन महीने के अधिक मास की पूर्णिमा मनाई जाएगी। सावन महीने में आने वाली पूर्णिमा को सावनी पूर्णिमा भी कहा जाता है ।पाठकों को बताना चाहूंगा कि प्रत्येक महीने पूर्णिमा आती है जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है पूर्णिमा का एक विशेष महत्व होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार अधिक मास में पडने वाली पूर्णिमा प्रत्येक 3 वर्ष बाद आती है। परंतु सावन के महीने में अधिक मास की यह पूर्णिमा पर 19 वर्षों बाद संयोग बन रहा है। सावन के महीने में अबकी बार दो पूर्णिमा आ रही है पहली 1 अगस्त को मनाई जा रही है जबकि दूसरी पूर्णिमा दिनांक 30 अगस्त को बनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। और साथ ही भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती है।
शुभ मुहूर्त—
दिनांक 1 अगस्त 2023 दिन मंगलवार को पूर्णिमा तिथि 46 घड़ी 8 पल अर्थात मध्य रात्रि 12:01 बजे तक है। यदि इस दिन के नक्षत्र की बात करें तो इस दिन उत्तराषाढ़ा नामक नक्षत्र 26 घड़ी 8 पल अर्थात शाम 4:01 बजे तक है। यदि योग की बात करें तो प्रीति नामक योग 33 घड़ी 5 पल अर्थात शाम 6:48 बजे तक है यदि करण की बात करें तो इस दिन विष्टि नामक करण अर्थात भद्रा 31 घड़ी 0 पल अर्थात दोपहर 1:58 बजे तक है। इन सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्रदेव पूर्णरूपेण मकर राशि में विराजमान रहेंगे।
स्नान एवं दान का महत्व—
सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद दान करने का विशेष महत्व होता है। इसलिए अगर कोई भी व्यक्ति पूर्णिमा के उत्तम तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के उपरांत दान करता है तो वह सबसे उत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा को स्नान दान करने का पहला शुभ मुहूर्त प्रातः 4:18 बजे से प्रारंभ होकर इसका समापन प्रातः 5:00 हो जाएगा वही स्नान व दान करने का दूसरा शुभ मुहूर्त प्रातः 9:05 से प्रारंभ होकर दोपहर 2:09 बजे तक रहेगा। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु भक्त पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करे तो पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही किया जाता है। इस दिन चंद्रमा का उदय शाम 7:16 बजे पर होगा।
क्या-क्या बन रहे हैं शुभ योग—
इस बार सावन अधिक मास पूर्णिमा पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। जिसके कारण इस दिन का महत्व कहीं और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन आयुष्मान योग प्रातः 6:33 पर प्रारंभ होगा और 2 अगस्त को दोपहर 2:34 पर समाप्त होगा। वहीं यदि प्रीति योग की बात करें तो प्रीति योग का प्रारंभ दिनांक 31 जुलाई 2023 की रात्रि 11:05 से प्रारंभ हो जाएगा और 1 अगस्त 2023 को शाम 6:53 पर समाप्त होगा। इन सबसे महत्वपूर्ण इस दिन लक्ष्मी नारायण योग भी बन रहा है। इस योग में किए गए उपायों से धन लाभ के मार्ग बनते हैं।
क्या क्या करें उपाय—सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करें। नदी में ही सूर्य को अर्घ्य दें और मंत्रों का जाप करें। इस दिन तुलसी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है अतः तुलसी की पूजा करें। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करें शाम को दीपक जलाएं मुख्य रूप से अधिक मास की पूर्णिमा के दिन तुलसी का विशेष पूजन करें पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है इसलिए इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से धन लाभ के साथ-साथ समृद्धि भी बनी रहती है।
श्रीहरि और महालक्ष्मी की पूजा—
अधिक मास की पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु विशेष पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें या अभिषेक के लिए केसर का दूध इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
चंद्रदेव की करें पूजा—
अधिक मास की पूर्णिमा के दिन शिवजी के चंद्र देव की पूजा करें। शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और बेलपत्र अर्पित करें। शाम को चंद्रोदय के बाद चांदी या मिट्टी के बर्तन से चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें।
इस मंत्र का करें जप —
अधिक मास की पूर्णिमा पर यदि आप शुभ फलों की प्राप्ति चाहते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षरों अर्थात 12 अक्षरों का मंत्र” ओम नमो भगवते वासुदेवाय “मंत्र का जाप 108 बार करें।
इसके अतिरिक्त भगवान को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और देसी घी का दीपक जलाएं। उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें ध्यान रहे कि पूर्णिमा के दिन व्रत का पारण लेने वाला व्यक्ति को पूरा दिन बिना अन्य के रहना होता है और शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्र देव की पूजा करने के बाद अपना व्रत का पारण करें। पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। उसका भी बहुत ज्यादा महत्व होता है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और उनकी कथा श्रवण अवश्य करें। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं भगवान सत्यनारायण उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं और उनके परिवार में सुख समृद्धि लाते हैं।