उत्तरकाशी। विशेष सत्र न्यायाधीश उत्तरकाशी गुरुबख्श सिंह की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और मारपीट करने के आरोपी, एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता व पूर्व पालिकाध्यक्ष बड़कोट के बेटे के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने पुलिस द्वारा पेश की गई उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें यह दावा किया गया था कि दोनों पक्षों के बीच ‘समझौता’ हो गया है।
1– पुलिस की ‘समझौते’ वाली रिपोर्ट खारिज-:
न्यायालय में मनीष लाल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 175 (3) के तहत याचिका दायर कर विचिन सिंह रावत के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई थी। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि विचिन सिंह रावत, जो पूर्व पालिकाध्यक्ष के बेटे हैं और एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, ने 01.02.2025 और 02.02.2025 को उन्हें जातिसूचक, नीच, अछूत” कहकर अपमानित किया और मारपीट की, जिससे उन्हें चोटें आईं।
थाना बड़कोट की पुलिस ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बताया था कि दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है। किन्तु प्रार्थी के वकील श्री एस०पी० नौटियाल ने न्यायालय को बताया कि यह रिपोर्ट विपक्षी के पिता के राजनीतिक प्रभाव में आकर गलत तरीके से दी गई है और उनके बीच कोई समझौता नहीं हुआ है।
2– कोर्ट ने चोट के फोटोग्राफ्स को माना सबूत–:
न्यायाधीश गुरुबख्श सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर गौर किया। न्यायालय ने पाया कि प्रार्थी ने घटना के समय की चोटों के फोटोग्राफ्स और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़कोट की इलाज पर्ची दाखिल की है, जिसका विपक्षी कोई खंडन नहीं कर सका है।
न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि पुलिस की ‘समझौते’ वाली रिपोर्ट के बावजूद, प्रार्थी के कथन और उपलब्ध साक्ष्यों से प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध कारित होना दर्शित होता है।
3-;थानाध्यक्ष को तत्काल एफ़ आई आर दर्ज करने का आदेश–:
उपरोक्त विवेचना के आधार पर, न्यायालय ने प्रार्थी मनीष लाल की याचिका को स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने थानाध्यक्ष, बड़कोट को तत्काल प्रार्थी की शिकायत के आधार पर विपक्षी विचिन सिंह रावत के विरुद्ध समुचित धाराओं में मामला पंजीकृत करने और आवश्यक कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय 29 सितंबर 2025 को सुनाया गया।
