दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई
नैनीताल । उत्तराखंड हाई कोर्ट ने देहरादून के आशन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर बने कई पुलों में भारी वाहन चलाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी व सचिव लोक निर्माण विभाग वी सी के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। मामले की सुनवाई याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी. नरेंद्र व वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ में हुई ।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से कल 9 जनवरी तक जीर्ण क्षीर्ण पुलों की मरम्मत कर सम्बन्ध में उच्च स्तरीय बैठक कर रिपोर्ट प्रस्तुत कराने को कहा है। मामले की कल 9 जनवरी को भी सुनवाई जारी रहेगी।
आज मुख्य सचिव ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के आदेश पर सभी पुलों की जांच कर ली गयी है। इन पूलों पर वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है। उन्होंने इन पुलों में हल्के वाहनों को चलने की अनुमति देने का आग्रह किया। क्योंकि पुलों में आवाजाही पर रोक लगने से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड रहा है। लेकिन कोर्ट ने अभी कोई राहत नहीं दी।
मामले देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून के आशन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आवाजाही हेतु कई पुलों का निर्माण किया गया था। जिनकी भार क्षमता भी नियमित की गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने खनन की अनुमति देने के बाद इन पुलों में भारी वाहन चलने लगे। पुलों की भार वहन करने की क्षमता कम होने के कारण ये कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए पुलों के ऊपर भारी वाहन व ट्रैफिक पर रोक लगाई जाय और इनकी मरम्मत की जाय। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इन पुलों पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी ।
2- जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टाफ की तैनाती की मांग–:
नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टॉफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बुधवार को सचिव स्वास्थ्य, सचिव समाज कल्याण व कमिश्नर गढ़वाल व कमिश्रर कुमाऊं वर्चुअल माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व वरिष्ठ न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 14 फरवरी तक इस मामले में केंद्र सरकार की दिव्यांगजन के लिए संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट पेश करने को कहा है ।
आज सुनवाई के दौरान सचिव स्वास्थ्य ने माना की दिवयांगजनों को केंद्र सरकार की ओर से जारी सभी योजनाओ का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इन्हें लागू करने के लिए सरकार को समय चाहिए। जिस पर कोर्ट ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई हेतु 14 फरवरी की तिथि नियत की है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है। दिव्यांगों की संख्या भी अधिक है। जबकि इनकी सहायता के लिए केंद्र सरकार की फ्री योजना है। राज्य सरकार को कोई खर्चा नहीं करना है। तब भी राज्य सरकार केंद्र की योजना का लाभ इन्हें नहीं दे रही।
यह याचिका मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की संस्था “रोशनी” की ओर से दायर की गई है ।