नैनीताल । उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ द्वारा राज्य के मुख्य सचिव आनन्द वर्धन के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार से उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के सम्बंध में 4 हफ्ते में निर्णय लेने को कहा है। साथ सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के संविदा कर्मियों के रुके वेतन का भुगतान 15 दिन के भीतर करने के निर्देश भी दिए हैं ।
मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई । आज हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि अभी राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसलिए कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने हेतु समय दिया जाय। जिस पर कोर्ट नें राज्य सरकार को आदेश का अनुपालन करने हेतु चार सप्ताह का और अतरिक्त समय दिया। अब मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
मामले के अनुसार उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण से जुड़े प्रकरण में पूर्व में आदेश देकर कहा था कि इनके नियमतिकरण करने के लिए सरकार विचार करे। लेकिन तय समय सीमा के भीतर कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। कोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने पर पूर्व में तत्कालीन मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की गई।
लेकिन राधा रतूड़ी की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी जगह आई ए एस अधिकारी आनंद वर्धन को मुख्य सचिव बनाया गया था।ल। जिसपर कोर्ट ने नवनियुक्त मुख्य सचिव को पक्षकार बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर उनसे अपना जवाब कोर्ट में प्रस्तुत करने व महाधिवक्ता से सरकार का पक्ष रखने को कहा था ।
मामले के अनुसार, वर्ष 2018 में कुंदन सिंह और अन्य की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने, उनके वेतन से टैक्स न वसूलने और न्यूनतम वेतन देने के साथ ही एरियर भुगतान का आदेश दिया था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राज्य सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया और नियमावली नहीं बनाई। साथ ही, वर्षों से कार्यरत उपनल कर्मचारियों को हटाकर नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जिसके खिलाफ यह अवमानना याचिका दायर हुई है ।