नैनीताल । जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ विशेष सत्र न्यायालय (एससी/एसटी अधिनियम), हरीश कुमार गोयल ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय में सामूहिक दुराचार, धमकी देने और अनुसूचित जाति की युवती पर अत्याचार के करने दो आरोपियों को आरोपों से बरी कर दिया है।
पीड़िता के भाई द्वारा 7 फरवरी 2023 को दर्ज कराई गई रिपोर्ट के अनुसार, 5 फरवरी 2023 को उसकी 17 वर्षीय बहन को गौरव जोशी बहला-फुसलाकर सगुनबाड़ी के जंगल में ले गया, जहां उसने अपने दोस्त सुमित रौतेला को बुलाकर दोनों ने जबरन शारीरिक संबंध बनाए और धमकी दी कि यदि उसने किसी को कुछ बताया तो उसे और उसके परिवार को जान से मार देंगे।
पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की और पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण कराया और धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज किये गए । पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। अभियोजन की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए ।
मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता की गवाही अविश्वसनीय मानी गई । बचाव पक्ष के अधिवक्ता मनीष मोहन जोशी ने कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता ने गवाही में कई बार विरोधाभासी बातें कहीं। एक ओर वह कहती है कि वह गौरव को वह जानती ही नहीं थी, वहीं पीड़िता के पिता और भाई दोनों ने स्वीकार किया कि पीड़िता और गौरव के बीच मित्रता थी, जिसे परिवार पसंद नहीं करता था।
इसके अलावा पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसने वीडियो बनाए जाने की बात अपने भाई के कहने पर कही थी । जबकि ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला। न्यायालय ने पाया कि पीड़िता का बयान स्वतंत्र, स्वेच्छिक और विश्वसनीय नहीं है।
सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) से दोनों आरोपियों की मोबाइल लोकेशन और समय संबंधी विवरण अभियोजन के दावे से नहीं मिले ।
अभियोजन ने एक ऑडियो बातचीत को स्वीकारोक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन न्यायालय ने उसे आत्मरक्षात्मक और अस्पष्ट माना तथा स्वीकारोक्ति मानने से इनकार किया।
इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपियों ने सामूहिक बलात्कार किया और अनुसूचित जाति की पीड़िता पर अत्याचार किया। ऐसे में आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376-डी, 506 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(वी) के आरोपों से दोषमुक्त करार दिया गया।