हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह दो चतुर्थी पड़ती है एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। प्रत्येक माह पढ़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। चैत्र माह की विनायक चतुर्थी 5 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। नवरात्रि के मध्य पड़ रही चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। गणेश जी का स्थान सभी देवी देवताओं में सर्वोपरि है। गणेश जी को सभी संकटों को दूर करने वाला और विघ्नहर्ता माना जाता है। जो भी जातक भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना नियमित रूप से करते हैं उनके घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
शुभ मुहूर्त, ,,,,,,,, पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 4 अप्रैल दिन सोमवार को दोपहर 1:54 बजे पर होगी वही इस तिथि का समापन अगले दिन 5 अप्रैल मंगलवार को शाम 3:45 बजे होगा ऐसे में उदया तिथि दिनांक 5 अप्रैल को होने की वजह से विनायक चतुर्थी व्रत दिनांक 5 अप्रैल को रखा जाएगा। यदि इस दिन नक्षत्र की बात करें तो इस दिन कृतिका नामक नक्षत्र 27 घड़ी 5 पल अर्थात शाम 4:50 तक रहेगा तदुपरांत रोहिणी नामक नक्षत्र उदय होगा यदि योग की बात करें तो 5 अप्रैल के दिन प्रीति नामक योग चार घड़ी 50 पल तक अर्थात प्रातः 7:56 तक रहेगा। इस दिन भद्रा 24 घड़ी 22 पल तक अर्थात शाम 3:00 बज कर 45 मिनट तक रहेगा। यदि चंद्रमा की स्थिति जाने तो इस दिन चंद्रदेव पूर्णरूपेण वृषभ राशि में रहेंगे।
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त, ,,,,, विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल को प्रातः 11:09 बजे से प्रारंभ होकर दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में आप विधि विधान से गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा, ,,,,, गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें। अक्षत पुष्प एवं गंगाजल हाथ में लेकर भगवान श्री गणेश जी का पूजन संकल्प लें। तदुपरांत भगवान गणेश जी को स्नान कराएं फिर पंचामृत स्नान कराएं तदुपरांत पुनः शुद्धोदक स्नान कराएं। फिर गणेश जी को तिलक आदि कराएं। भगवान गणेश जी को सिंदूर बेहद प्रिय है इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय गणेश जी को लाल रंग के सिंदूर का तिलक लगाएं और स्वयं भी उसका तिलक करें। सिंदूर चढ़ाते समय निम्न मंत्र का जाप करें।
” सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम । शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।”
भगवान गणेश जी को मोदक बेहद पसंद है। ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए विनायक चतुर्थी के दिन मोदक या लड्डू का भोग अवश्य लगाएं। यदि इस दिन आपने ऐसा किया तो आपकी जो मनोकामना अभी तक पूरी नहीं हुई है वह शीघ्र पूर्ण होगी।
व्रत कथा, ,,,, सतयुग में एक मकरध्वज नाम का राजा था वह अपनी प्रजा का पुत्रों जैसा पालन करता था। उसके राज में प्रजा सभी प्रकार से सुखी थी। याज्ञवल्क्य जी की कृपा से राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा ने अपने मंत्री धर्मपाल को राज्य का भार सौंप कर अपने पुत्र का पालन करने लगा। मंत्री धर्मपाल के 5 पुत्र थे। उसने सभी लड़कों का विवाह कर दिया। उसके छोटे लड़के की बहू बहुत ही धर्म परायण थी। चैत्र की चौथ का व्रत कर गणेश पूजन करने लगी। उसके व्रत को देखकर उसकी सास बोली अरे यह क्या कर रही है? यह सब मत किया कर। वह सास के मना करने के बाद भी श्री गणेश जी का व्रत पूजन करती रही। सासु से बहुत डराया धमकाया तो बहू ने बोला माताजी में संकटनाशन श्री गणेश व्रत कर रही हूं। सास को बहुत क्रोध आया और अपने छोटे बेटे से बोली पुत्र तेरी स्त्री जादू टोना करती है। मना करने पर कहती है कि गणेश व्रत पूजन करती है। हम नहीं जानते कि गणेश जी कौन हैं? तुम इसकी खूब पिटाई करो तब यह मानेगी। परंतु पति से मार खाने के बाद भी बड़ी पीड़ा और कठिनाई के साथ उसने भगवान श्री गणेश जी का व्रत किया और प्रार्थना की हे गणेश जी मेरे सास-ससुर के हृदय में अपनी भक्ति उत्पन्न करो। भगवान गणेश जी ने राजकुमार को धर्मपाल के घर छिपा दिया बाद में उसके वस्त्र आभूषण उतारकर राजा के भवन में डालकर अंतर्ध्यान हो गए। राजा अपने पुत्र को ढूंढने लगे और धर्मपाल को बुलाकर बोले मेरा पुत्र कहां गया? मंत्री धर्मपाल ने बोला मैं नहीं जानता कि राजकुमार कहां गया? अभी उसे सभी जगहों पर ढूंढ आता हूं। दूतों ने चारों ओर तलाश किया परंतु राजकुमार का पता नहीं चला। पता नहीं चलने पर राजा ने मंत्री धर्मपाल को बुलाया और बोले दुष्ट यदि राजकुमार नहीं मिले तो तेरे कुल सहित तेरा वध करूंगा। धर्मपाल अपने घर गया अपनी पत्नी बंधु बंधुओं को राजा का फरमान सुनाया विलाप करने लगा कि अब हमारे कुल में कोई नहीं बचेगा राजा सब का वध कर देंगे। अब मैं क्या करूं मेरे कुटुंब परिवार की रक्षा कौन करेगा? उनके ऐसे वचन सुनकर छोटी बहू बोली पिताजी आप इतने दुखी क्यों हो रहे हो? यह हमारे ऊपर गणेश जी का कोप है इसलिए आप विधिपूर्वक गणेश जी का व्रत पूजन करें तो अवश्य राजकुमार मिल जाएगा। इस व्रत को करने से सभी संकट दूर होते हैं। यह संकट दूर करने वाला व्रत है। मंत्री धर्मपाल ने राजा को यह बात बताई राजा ने प्रजा के साथ श्रद्धा पूर्वक गणेश चतुर्थी का व्रत किया जिसके फलस्वरूप भगवान श्री गणेश जी पसंद हो सब लोगों को देखते देखते राजकुमार को प्रकट कर दिया। इस लोक में सभी व्रतों में इससे बढ़कर अन्य कोई व्रत नहीं है। भगवान गणेश जी सभी के संकटों को दूर करें और सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें बोलो गणेश महाराज की जय। लेखक पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल🙏