आज11 अप्रैल को तृतीया नवरात्रि के दिन
मां चंद्रघंटा की पूजा होती है ।मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा।

नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना
की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करनी
चाहिए।
नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का
महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य
सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह
की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं। इन क्षणों में
साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस
देवी की आराधना से साधक में वीरता और
निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता
का विकास होता है।
इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्मके
साथ विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र
करके चंद्रघंटा के
शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना
करनी चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर
सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं।
यह देवी कल्याणकारी है।
*शुभ मुहूर्त*
11 अप्रैल 2024 दिन गुरुवार को यदि तृतीया तिथि की बात करें तो 22 घड़ी 57 पल अर्थात शाम 3: 03 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी।यदि नक्षत्र की बात करें तो कृतिका नामक नक्षत्र 49 घड़ी 23 पल अर्थात मध्य रात्रि 1:38 बजे तक है।
*महामंत्र -*
‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः”।।
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान
जपना होता है।
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है-
ऐं श्रीं शक्तयैनमः ।

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*धयान मंत्र*
वन्दे वाज्छितलाभाय चन्द्रार्थकृतशेखराम्।
सिंहारूढा यशस्विनीम् ॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् ।
वन्दे वाज्छितलाभाय चन्द्रार्थकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम् ॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् ।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पड्य कमण्डलु
माला वराभीतकराम् ॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालड्कार
भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किड्किणि, रत्नकुण्डल
मण्डिताम।।
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम्
तुगम् कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम् ।
मां चंद्रघंटा की कृपा आप और हम सभी पर
बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका
दिन मंगलमय हो।
॥जै माता दी।।

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*लेखक-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी, गेठिया नैनीताल।*

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