*बहुत महत्वपूर्ण है गणेश जन्मोत्सव परंतु इस दिन रात्रि को चांद को देखना मना है।*
इस बार दिनांक 27 अगस्त 2025 दिन बुधवार को भगवान श्री गणेश जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
*शुभ मुहूर्त-:*
इस बार दिनांक 27 अगस्त 2025 दिन बुधवार को गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। इस दिन यदि चतुर्थी तिथि की बात करें तो 24 घड़ी 47 पल अर्थात शाम 3:45 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो हस्त नक्षत्र शून्य घड़ी 35 पल अर्थात प्रातः 6:04 बजे तक रहेगा तदुपरांत चित्रा नामक नक्षत्र उदय होगा। शुभ योग 16 घड़ी 50 पल अर्थात मध्यान्ह 12:34 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव रात्रि 9:21 मिनट बजे तक कन्या राशि में विराजमान रहेंगे तदुप्रांत तुला राशि में प्रवेश करेंगे।
*विशेष-:*
इस भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को रात को भूलकर भी चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। यदि भूलवश किसी व्यक्ति ने इस रात को चांद देख लिया तो उस पर बेवजह अर्थात अकारण चोरी करने का आरोप लग सकता है।
*पौराणिक कथा-:*
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश जी अपने पसंदीदा मोदक और लड्डू खा रहे थे। उनके अधिक मात्रा में लड्डू खाते देख और उनका लंबोदर एवं गजमुख को देखकर चंद्रमा को हंसी आ गई। चंद्रमा के ऐसे व्यवहार को देखकर गणेश जी नाराज हो गए और चांद से कहा कि तुम्हें अपने रूप का अहंकार हो गया है। इसलिए तुम्हारा क्षय हो जायेगा। सिर्फ इतना ही नहीं जो आज की रात तुम्हारा दर्शन करेगा उस पर भी कलंक लग जाएगा उस दिन भादो शुक्ल पक्ष चतुर्थी का दिन था। इसलिए इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहते हैं। पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस गणेश चतुर्थी का चांद देख लिया था। उनको भी समयन्तक मणि चोरी करने का आरोप से कलंकित होना पड़ा था। भगवान श्री कृष्ण का भी इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। देवर्षि नारद जी से जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों का कारण तब नारद जी ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि यह आरोप भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के रात चंद्रमा को देखने से लगा है। नारद जी ने बताया कि इस रात गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था। कहानी यहीं समाप्त नहीं होती है। आगे नारद जी बताते हैं की गणेश जी के श्राप से चंद्रमा दुखी हो गए और घर में छुप कर बैठ गए। चांद का दुख देखकर देवताओं ने उन्हें सलाह दी मोदक एवं पकवानों से गणेश जी की पूजा करो उन्हें मोदक प्रिय है। गणेश जी प्रसन्न हो जाएंगे तो श्राप से मुक्ति भी मिल सकती है। तब चंद्रमा ने गणेश जी की पूजा की उन्हें प्रसन्न किया। गणेश जी ने कहा श्राप पूरी तरह समाप्त तो नहीं होगा। जहां तुम्हारी कलायें घटती जाएंगी और इसी तरह बढ़ती जाएंगी। ऐसा इसलिए कि तुम्हें अपनी गलती हमेशा याद रहेगी।
*निष्कर्ष -:*
इस घटना से गणेश जी ने संपूर्ण विश्व को भी यह ज्ञान दिया कि किसी भी व्यक्ति के रूप रंग पर हंसना नहीं चाहिए। कोई दुबला होगा तो कोई मोटा होगा कोई काला होगा। यह तो भगवान की देन है। किसी के रूप रंग पर हंसना नहीं चाहिए।
तब से इस दिन जो भी चांद को देखता है इसे भगवान गणेश जी के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। भूल से चंद्र दर्शन हो जाए तो उसका सिर्फ एक ही निवारण है इसके लिए उस व्यक्ति को श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के अध्याय संख्या 56 तथा 57 में उल्लेखित समयन्तक मणि चोरी की कथा किसी विद्वान पंडित जी के श्री मुख से कथा का श्रवण करना चाहिए। जिससे चंद्रमा के दर्शन के कारण होने वाले झूठे कलंक के खतरे को कम किया जा सकता है।
*लेखक-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*

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