नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने नैनीताल के सुखाताल झील में सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों पर रोक व अतिक्रमण हटाने को लेकर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाते हुए झील विकास प्राधिकरण व कुमायूं मंडल विकास निगम से बचा हुआ निर्माण कार्य व सौंदर्यीकरण से सम्बंधित सभी कार्यों को तीन माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए है। आज सुनवाई पर झील विकास प्राधिकरण की तरफ से शपथपत्र पेश कर कहा गया कि निर्माण कार्यो पर लगी रोक को हटाया जाय। क्योंकि झील का 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और केवल सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाना है। अभी तक 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं ,इसलिए पूर्व में कोर्ट द्वारा लगाई रोक को हटाया जाय।
जिसपर कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संसोधन करते हुए सभी निर्माण कार्य तीन माह के भीतर पूर्ण करने के निर्देश सम्बंधित विभागों को दिए हैं।
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ0 जी पी साह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था । पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं । पत्र में यह भी कहा गया है की झील में पहले से ही लोगो ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये गए जिनको अभी तक नही हटाया गया। पहले से ही झील के जल स्रोत सुख चुके है जिसका असर नैनी झील पर देखने को मिल रहा है। कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नही है मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पिया करते है अगर वो भी सुख गया तो ये लोग पानी कहा से पिया करेंगे । इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिला अधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई।पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश ने इस पत्र का स्वतः लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिये पंजीकृत कराया था ।