4 अगस्त दिन रविवार को है अमावस्या ।। रविपुष्य योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी इस बार हरियाली अमावस। जानिए कथा महत्व एवं शुभ मुहूर्त।
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*हरियाली अमावस की पौराणिक कथा -:*

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में
एक प्रतापी राजा रहता था। उन्हें एक बेटा
था। जिसका विवाह हो चुका था। एक दिन
राजा की बहू ने चोरी से मिठाई खा लीऔर नाम चुूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहा बहुत गुस्सा हो गया और
उसने मन ही मन ठान लिया कि वह चोर को राजा के सामने लेकर आएगा। एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आए।सभी मेहमान राजा के कमरे में सोए हुए
थे। उस दिन चूहे को बदला चुकाने का मौका मिला।क्योंकि चूहे को बहुत गुस्सा था इस वजह से वह रात्रि को रानी की साडी को ले जाकर
उस कमरे में रख दिया जहां मेहमान सोये थे।
अगले दिन जब सुबह में मेहमान की आंखें खुली और उसने रानी का कपड़ा देखा। वह यह
देखकर हैरान रह गया। जब राजा को इस
बात का पता चला, तो उसने अपनी बहु को महल से निकाल दिया। महल से निकलने के बाद रानी जंगल में एक पीपल के वृक्ष के समीप रहने लगी रोज शाम में दिया
जलाती और ज्वार उगाने का काम करती थी। वह रोज पूजा करके गुडधानी का प्रसाद बांट देती थी।
संयोग वश एक दिन राजा उसी रास्ते से जा रहा था,
तो उसकी नजर उस दीये पर पड़ी। जब वह राजमहल लौटा तब उसने अपने सैनिको से जंगल में जाकर उस चमत्कारी
चीज के बारे में पता लगाने को कहा। राजा
की आज्ञा पाकर सैनिक जंगल की तरफ
निकल पड़े। जब वह उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे, तो उन्होंने वहां देखा कि वहां जले हुए सभी दीये आपस में बात कर रहे थे। सभी दिये अपनी अपनी कहानी बता रहे थे। तभी एक
शांत दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम
भी अपनी कहानी बताओ।यह सुनकर शांत दीये ने कहा कि वह रानी
का दीया है। उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमान के कमरे में रख दी और बेकसूर रानी को सजा मिल गई। सैनिक ने दीये की सारी बातें सुन ली और यह बात राजा
से जाकर बताई। राजा को जब इस बात का पता चला, तो उसने रानी को वापस महल में बुलवा लिया। महल में वापस आने के बाद रानी खुशी-खुशी रहने लगीं।

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हरियाली अमावस का महत्व -:

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व होता है।यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। सावन मास देवों के देव महादेव को समर्पित है। ऐसे में सावन महीने में आने वाली अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या या सावन अमावस्या कहा जाता है। हरियाली अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है।इस दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना भी शुभ
माना गया है।
*शुभ मुहूर्त-:*
इस बार दिनांक 4 अगस्त 2024 दिन रविवार को हरियाली अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। इस दिन यदि अमावस्या तिथि की बात करें तो 27 घड़ी 45 पल अर्थात शाम 4:43 बजे तक अमावस्या तिथि है। यदि पुष्य नक्षत्र की बात करें तो इस दिन 19 घड़ी 33 पल अर्थात दोपहर 1:26 बजे तक पुष्य नक्षत्र है ।यदि सिद्धि योग की बात करें तो 12 घड़ी 33 पल अर्थात 10:38 बजे तक यह योग रहेगा सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण कर्क राशि में विराजमान रहेंगे।
*अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त-:*

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हरियाली अमावस्या के दिन दान का उत्तम मुहूर्त
प्रातः 09 बजकर 05 मिनट से 10 बजकर
45 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दूसरा
मुहूर्त प्रात:10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12
बजकर 26 मिनट तक रहेगा। तीसरा मुहुर्त
दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से दोपहर 03
बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
हरियाली अमावस्या के दिन बन रहे हैं कई
शुभ योग-
हरियाली अमावस्या के दिन कई शुभ योग बन
रहे हैं जिससे इन दिन का महत्व बढ़ रहा है।
अमावस के दिन रवि पुष्य योग व सर्वार्थ सिद्धि
योग भी बन रहा है। रवि पुष्य योग प्रातः 05:43
से दोपहर 01:26 बजे तक रहेगा। इसके साथ
ही सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05:43 बजे से
दोपहर 01:26 बजे तक रहेगा।
*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*

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