नैनीताल । कुमाऊं विश्व विद्यालय के  राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा “मानवाधिकारों के संरक्षण व पर्यावरण संवर्धन नें जनहित याचिकाओं की भूमिका” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुक्रवार को सम्पन्न हो गई ।

संगोष्ठी के दूसरे दिन की शुरुआत शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत करने से हुई। जिसमें दो तकनीकी सत्र हुए। जिनकी अध्यक्षता प्रो. कल्पना अग्रहरि, प्रो. हरिओम, प्रो. भुवन तिवारी,प्रो. एरोन के द्वारा की गई। शोधार्थियों के द्वारा जनहित याचिका से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। जिसमें जनहित के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियां को भी रेखांकित किया गया। सत्र का समापन अध्यक्षों के द्वारा शोध पत्रों के मूल्यांकन पर की गई टिप्पणी से हुआ।
दोपहर 12 बजे से समापन सत्र  हुआ । जिसमें  विधायक सरिता आर्या , प्रो. एमपी दुबे, प्रो. डी. के. पी.चौधरी,प्रो. रघुवेंद्र प्रताप सिंह के वक्तव्यो से हुई। विधायक सरिता आर्या ने  जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित किया तथा विषय विशेषज्ञों  से अपील की कि  नए शोधों  द्वारा उनका समाधान ढूंढने का प्रयत्न करें। प्रो. एमपी दुबे ने मानवाधिकार के विभिन्न चरणों को विस्तार से बताते हुए भारतीय संविधान के प्रावधानों से छात्रों को अवगत कराया।
प्रो. डी.के.पी. चौधरी ने बताया की इस तरह की राष्ट्रीय संगोष्ठी में जवाबों से ज्यादा नए और प्रासंगिक सवालों को उठाना जरूरी है  । उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका का महत्व बताया।
प्रो. राघवेंद्र प्रताप सिंह ने  कहा कि जनहित याचिका का राजनीतिक फायदे और व्यक्तिगत हितों के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए जिसके लिए सभी की जिम्मेदारी है।
अंत में विभाग की अध्यक्ष और राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजक प्रो. नीता बोरा शर्मा ने सभी अतिथियों शोधार्थियों और अध्यापकों का आभार और अभिनंदन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि  सभी के सहयोग के बिना इस कार्यक्रम को संपन्न करना संभव नहीं था ।  राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।

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दो दिन की इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में देश भर के विद्वानों ने गहन चेतन किया मनन किया।  संगोष्ठी का उदघाटन 21 सितंबर को न्यायमूर्ति राजेश टण्डन,प्रो. संजीव कुमार,कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने किया था ।

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संगोष्ठी की संयोजक प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा ने बताया कि संगोष्ठी की संस्तुतियों को मानव अधिकार आयोग, महिला आयोग, पर्यावरण मंत्रालय को प्रेषित किया जाएगा ।

 

संगोष्ठी में श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, रोहिलखंड विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, गढ़वाल विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया । जबकि  पटना, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि विभिन्न क्षेत्रों से लोगों ने ऑनलाइन भी प्रतिभागी लिया

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