नैनीताल । कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी द्वारा वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड” प्रदान किया गया है। यह सम्मान भारतीय रसायन विज्ञान के क्षेत्र का एक अत्यंत प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जिसकी स्थापना वर्ष 1968 में महान वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय की स्मृति में की गई थी। यह पुरस्कार उन भारतीय रसायन वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने अपने उत्कृष्ट अनुसंधान, शिक्षण और नवाचारों के माध्यम से रसायन विज्ञान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया हो।

 

प्रो. दीवान एस. रावत ने जैव-कार्बनिक रसायन और औषधि खोज के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके शोध कार्य विशेष रूप से पार्किंसंस पर उल्लेखनीय हैं, जिनका महत्त्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है। प्रो. रावत ने हाल ही में एक ऐसी नवीन अणु विकसित की है, जो पार्किंसन रोग के उपचार में सक्षम सिद्ध हो सकती है एक ऐसी बीमारी जिसके लिए वर्तमान में कोई प्रभावी औषधि उपलब्ध नहीं है। यह अणु अब फेज-II मानव क्लीनिकल ट्रायल में है, जबकि उनके दो अन्य अणु ऑटोइम्यून रोगों और डिमेंशिया के उपचार के लिए प्री-क्लीनिकल विकास की अवस्था में हैं। यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह पहला अणु है जिसे किसी भारतीय शैक्षणिक संस्थान से विकसित होने पर यू.एस. एफ.डी.ए. से स्वीकृति प्राप्त हुई है जो भारतीय अकादमिक अनुसंधान के इतिहास में एक मील का पत्थर है।उन्होंने अनेक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध लेख प्रकाशित किए हैं और कई युवा वैज्ञानिकों को दिशा दी है।

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यह पुरस्कार प्रो. रावत के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि उनके पीएच.डी. निर्देशक डॉ. डी. एस. भाकुनी को भी यह प्रतिष्ठित सम्मान वर्ष 2010 में प्रदान किया गया था। इस पुरस्कार की गौरवशाली परंपरा में अब तक भारत के कई महान रसायन वैज्ञानिक शामिल रहे हैं, जिनमें भारत रत्न प्रो. सी. एन. आर. राव, पद्म भूषण प्रो. असीमा चट्टर्जी, पद्म भूषण प्रो. सुखदेव, पद्म श्री प्रो. गोवर्धन मेहता (एफआरएस), पद्म श्री प्रो. वी. के. सिंह, पद्म श्री प्रो. वी. एस. चौहान, पद्म श्री प्रो. नित्यानंद, पद्म श्री प्रो. जी. डी. यादव और पद्म भूषण प्रो. ए. वी. रामाराव जैसी विभूतियाँ शामिल हैं।

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प्रो. दीवान एस. रावत की इस उपलब्धि से न केवल कुमाऊँ विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ा है, बल्कि यह उत्तराखंड राज्य और संपूर्ण भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी गर्व और प्रेरणा का विषय है। उनका यह सम्मान यह दर्शाता है कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड से भी विश्वस्तरीय वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार संभव हैं।

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