नैनीताल।
गोवर्धन कीर्तन हाॅल समिति मल्लीताल नैनीताल में श्री मद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा का आज दिनांक ३जनवरी२०२४ को विश्राम/ परायण हुआ।
संकलन व छायांकन।
बृजमोहन जोशी, नैनीताल।
दिनांक २८ दिसम्बर २०२३से श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का आयोजन श्री चन्द्रशेखर जोशी (पप्पन जोशी) जोशी बाला जी भोजनालय के स्वामी द्वारा आयोजित किया गया था।
श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में आज प्रातः काल ८बजे से पूजा मण्डल में गणेश पूजन, पंचांग कर्म पूजन वास्तु पूजन, क्षेत्र पाल पूजन, सर्वत्तोभद्र पूजन, राधाकृष्ण पूजन, षोडशोपचार पूजन, तुलसी पूजन,हवन किया गया। हवन के विषय में व्यास जी भगवती प्रसाद जोशी जी द्वारा जानकारी दी गई कि हवन में अट्ठारह हजार श्लोक हुए अट्ठारह सौ आहुतियों से देवताओं को भोजन कराया गया। हवन के उपरान्त शय्या दान किया गया। शय्या दान के विषय में व्यास जी ने बतलाया कि श्रीमद्भागवत कथा में या पूजन में जो कमी रह जाती है जो त्रुटि हो जाती है गौ दान द्वारा उसका निवारण किया जाता है,गौ माता उस कमी को दूर कर देती हैं।इस पूजन में श्री चन्द्रशेखर जोशी पप्पन जोशी, श्री हरीश चंद्र जोशी, श्री ईश्वरीय दत्त जोशी, श्री सुमित जोशी, श्री रवि जोशी, श्री गोविन्द बल्लभ जोशी, श्री मुकुन्दं जोशी आदि ने भाग लिया।
इसके उपरांत व्यास जी भगवती प्रसाद जोशी जी ने आज श्री हरि नारायण कि कथा आरम्भ कि। उन्होंने कहा कि हरि अनन्त हरि कथा अनंता।श्री हरि ने पृथ्वी का भार उतारने के लिए पृथ्वी पर नर रूप में अवतार लिया और अपनी लीला को पूर्ण करने के उपरान्त अपने धाम को चले गए। व्यास जी ने भक्तों को श्री हरि का एक मंत्र दिया, उन्होंने कहा कि सुबह और सायंकाल को नियमित रूप से इसका जाप करने से उनके मानसिक, शारीरिक, कष्टों निवारण होगा। इसके उपरांत व्यास पूजन हुआ। व्यास जी ने आयोजक पप्पन जोशी को आशीर्वाद दिया उनके इस प्रयास कि सराहना की तथा इस ज्ञान यज्ञ को सफल बनाने वाले सभी श्रृद्धालुओं, माता , बहनों, श्रोताओं ज्ञात अज्ञात भक्तजनों को अपना आशीर्वाद दिया व गोवर्धन कीर्तन हाॅल समिति मल्लीताल नैनीताल के द्वारा
दिए गए सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया तथा भविष्य में भी उनके इस सहयोग कि आकांक्षा की।
आयोजक विनीत श्री चन्द्रशेखर जोशी ( पप्पन जोशी) द्वारा इस पुनीत ज्ञान यज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न करने में सहयोग करने वाले सभी श्रृद्धालुओं का ह्रदय से आभार व्यक्त किया।
इसके उपरांत भण्डारे का आयोजन किया गया था जिसमें श्रृद्धालुओं द्वारा प्रसाद ग्रहण किया गया।