नैनीताल। रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस टीम नैनीताल  द्वारा 9 मई को गिरफ्तार नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी रहे दिनेश राणा की ओर से हाईकोर्ट में जमानत अर्जी पर शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भी सुनवाई हुई।  हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि अब 18 जून निर्धारित की है । तब तक दिनेश राणा को फिलहाल राहत नहीं मिली है ।
  मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हो रही है।  सुनवाई के दौरान  याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि की उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। जबकि उनके द्वारा शिकायतकर्ता की ए सी पी के क्लेम की फाइल पहले ही वापस लौटा दी थी। इससे नाराज होकर उनके द्वारा यह षडयंत्र रचा गया। जो पैसों की रिकवरी हुई वह एकाउंटेड के दराज से हुई। जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि जब मामले की जाँच हुई तो पाए गए नोटो पर एकाउंटेंट व मुख्य कोषाधिकारी  के उंगलियों के निशान पाए गए। इसकी पुष्टि के लिये काँच के गिलास में पानी भरकर व सोडियम कार्बोनेट डाला गया। जिसमें आरोपियों हाथ धोए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया। नोटों में भी आरोपियों के उंगलियों के निशान लगे हुए हैं।
 सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी कर्मचारी या अधिकारी को ट्रेप करने या गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़ आई आर होना अनिवार्य है । किंतु विजिलेंस द्वारा यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है । इस मामले में सी बी आई, की प्रक्रिया को भी कोर्ट के समक्ष रखा गया । सी बी आई द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़ आई आर दर्ज की जाती है ।
 हाईकोर्ट के समक्ष शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी व अन्य मामले में दिए गए आदेश को भी प्रस्तुत किया गया । जिसमें किसी कर्मचारी या अधिकारी की गिरफ्तारी से पूर्व एफ़ आई आर दर्ज किया जाना आवश्यक बताया गया है ।
 इन सभी तथ्यों को कोर्ट ने रिकॉर्ड में ले लिया गया है ।

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