नैनीताल । सुखाताल में सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों पर रोक लगाने व अतिक्रमण हटाने को लेकर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने प्रदेश में वेट लैंड के बारे में वेट लैंड ऑथोरिटी से एक माह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ में झील के आसपास रहने वाले लोगों द्वारा बरसात में झील भरने से उनके घरों में घुसे पानी की पम्प द्वारा निकासी किये जाने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों में पहले से ही रोक लगाई है ।
सुनवाई के दौरान वेट लैंड ऑथोरिटी की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया कि उनके पास प्रदेश में वेट लैंड की रिपोर्ट आज चुकी है। जिलाधिकारी नैनीताल ने भी सूखाताल व एक अन्य झील को वेट लैंड घोषित करने के लिए अपनी रिपोर्ट स्टेट वेट लैंड ऑथोरिटी को भेज दी है। इसलिए रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें समय दिया जाय।वहीं जनहित याचिका में सूखाताल झील के आसपास रहने वाले लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि झील भरने से उनके घरों में पानी घुस गया है इसलिए पानी की निकासी की जाय। लेकिन कोर्ट ने उनके प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ0 जी पी साह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था ।
पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं । पत्र में यह भी कहा गया है की झील में पहले से ही लोगो ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये गए जिनको अभी तक नही हटाया गया। पहले से ही झील के जल स्रोत सुख चुके हैं । जिसका असर नैनी झील पर देखने को मिल रहा है।