नैनीताल । कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ कूटा ने उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड द्वारा 50 वर्ष से अधिक उम्र के प्राध्यापकों व कर्मचारियों को स्क्रीनिंग कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश पर रोष व्यक्त किया है ।

कूटा ने कहा कि यह आदेश उच्च शिक्षा के विकास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण तथा भय बढ़ाने वाला है। इस पत्र में कहा गया है कि ऐसे प्राध्यापक तथा कर्मचारी जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है को एक स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से चयनित कर अनिवार्य सेवानिवृत किया जाएगा। कूटा ने कहा है की कुछ अधिकारी सरकार की छवि खराब कर रहे हैं ।कूटा ने यह भी कहा है कि उच्च शिक्षा में अन्य विभागों की अपेक्षा नियुक्ति में औसत उम्र अधिक अर्थात डिग्री अर्जित करने तथा नियुक्ति प्रक्रिया के कारण औसत 35 वर्ष के बाद ही नियुक्ति मिल पाती है और उच्च शिक्षा में संविदा पर कार्यरत अधिकतर प्राध्यापक ऐसे हैं जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक हो चुकी है ऐसी स्थिति में 50वर्ष में अनिवार्य सेवानिवृत्ति अव्यवहारिक है।
कूटा ने यह भी स्पष्ट किया है कि विश्व विद्यालयों के शिक्षको की नियुति की कोई उम्र नहीं है तथा उच्च शिक्षा में गुणवत्ता पूर्ण शोध तथा अनुसंधान में 50वर्ष से अधिक के प्राध्यापकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है तथा प्राध्यापक धीरे धीरे निखरते हुए विषय विशेषज्ञ बनता है और विभाग एवम शोध विद्यार्थियों तथा प्रोजेक्ट में नेतृत्व करता है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने सीएम अनुसंधान प्रोजेक्ट परियोजना की शुरुआत की है ।
कूटा ने कहा कि प्रदेश के महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों तथा कर्मचारियों इस निर्णय से आहत हैं । कूटा ने यह भी कहा की अधिकारी उच्च न्यायालय के निर्णय की 10 साल के संविदा को नियमित किया जा सकता है तथा संविदा का मानदेय 57770 करने के प्रस्ताव पर कार्य कर ही नहीं रहे है तथा अपेक्षित पत्र लंबित है ।
उच्च शिक्षा के इस आदेश पर कूटा के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, महासचिव डॉ. विजय कुमार, उपाध्यक्ष प्रो. नीलू लोधियाल, डॉ. दीपक कुमार, उपसचिव डॉ. संतोष कुमार, डॉ. दीपाक्षी जोशी, डॉ. दीपिका गोस्वामी, प्रो. अनिल बिष्ट, डॉ. उमंग सैनी, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. सीमा चौहान, डॉ. दीपिका पंत, डॉ. नागेंद्र शर्मा, डॉ. युगल जोशी, डॉ. रितेश साह आदि ने रोष व्यक्त किया है।