नवरात्र में अनेकों भक्त कन्या पूजन अवश्य
करते हैं। कन्या पूजन की कुछ विशेष विधि होती है। सर्प्रथम कन्या पूजन करने से पहले
कन्याओं के पैर दूध या पानी से कर्ता के हाथों
से साफ़ किए जाते हैं। तदुपरांत कन्याओं के
पैर छूकर उन्हें स्वच्छ आसनों पर बैठाया जाता
है। कन्याओं के माथे पर अक्षत फूल और
कुमकुम का तिलक लगावे। कन्याओं को भोज कराने के बाद उन्हें दक्षिणा दें। दान में रुमाल
लाल चुनरी फल आदि प्रदान करके उनके
चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। जो भक्त
नवरात्रि में कन्या पूजन करता है उस पर मां
दुर्गा की विशेष कृपा बरसती है। कन्या पूजन
अष्टमी तथा नवमी तिथि पर किया जाता है।
इस बार चैत्र अष्टमी दिनांक 16 अप्रैल 2024
एवं नवमी दिनांक 17 अप्रैल 2024 को मनाई
जाएगी।इस दिन संपूर्ण दिन भर कन्या पूजन के लिए उत्तम रहेगा। यदि आप अष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें अन्यथा नवमी पर मां
सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन
अवश्य करें। कन्या पूजन के लिए 9 कन्याओं
को और एक हनुमान जी को (कहीं -कहीं इसे
लंगूर या कहीं भैरव भी कहते हैं।)
यदि किसी कारणवश 9 कन्याओं का पूजन
करने में असमर्थ हैं तो 5 कन्याओं का पूजन
भी किया जा सकता है। जो 5 कन्याओं के बाद
अतिरिक्त 4 कन्याओं का भोजन गौमाता को
खिलाना चाहिए। 9 कन्याओं और भैरव के पैर धोकर उन्हें स्वच्छ आसनों पर बैठाया जाता
है। कन्याओं एवं भैरव को तिलक लगाकर आरती
कीजिए। फिर भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा
दीजिए। तदुपरांत सम्मान पूर्वक सभी को विदा
कीजिए।
एक महत्वपूर्ण बात पाठकों को बताना चाहूंगा
कि कन्याओं की आयु 2 वर्ष से 10 वर्ष के
बीच होनी चाहिए। 2 वर्ष की कन्या का पूजन
करने से घर में सुख और संपत्ति होती है और
दरिद्रिता दूर होती है। 3 वरषर्ष की कन्या त्रिमूर्ति
का रूप मानी गई है त्रिमूर्ति के पूजन से घर में
धन-धान्य की भरमार रहती है और परिवार में
सुख और समृद्धि बनी रहती है। 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना गया है। इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। 5 वर्ष की
कन्या रोहिणी होती है। रोहिणी का पूजन करने
से परिवार रोगमुक्त रहता है। 6 वर्ष की कन्या
को कालिका का रूप माना गया है। कालिका
के पूजन से विजय, विद्या राजयोग मिलता है।
7 वर्ष की कन्या चंडिका होती है चंडिका के पूजन से घर में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ৪ वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती है शांभवी के पूजन से वाद विवाद में विजय मिलती है। नौ वर्ष की कन्या माता दुर्गा का रूप होती है।इसका पूजन करने से शत्रु का नाश होता है।
एवं असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं। अंत में 10
वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। सुभद्रा
अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है।
एक महत्वपूर्ण बात पाठकों को और बताना
चाहुंगा कि कन्या का सम्मान नवरात्र के मात्र 9
दिन ही नहीं अपितु जीवन भर करें। जहां
नवरात्र के दौरान भारत में कन्याओं को देवी
का रूप मानकर पूजा जाता है। परंतु कुछ
लोग नवरात्रि के बाद कन्या को भूल जाते हैं।
हमारे देश में अत्यधिक रूप में कन्या भ्रूण
हत्या हो रही है। कन्या नहीं होगी तो कन्या
पूजन कहां से करोगे? एक बार अपने मन से
पूछिए क्या आप ऐसा करके देवी मां के इन
रूपों का अपमान नहीं कर रहे हैं? सर्वप्रथम
हमें कन्या और महिलाओं के प्रति सोच बदलनी होगी कन्याओं एवं महिलाओं का सम्मान करना होगा यही सबसे बड़ा कन्या पूजन होगा। अन्यथा दिखावा करने मात्र से कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है।
*अभिजीत मुहूर्त है सर्वश्रेष्ठ कन्या पूजन के लिए*
कन्या पूजन के लिए अभिजीत मुहुर्त को ही सबसे अच्छा माना जाता
है।अष्टमी और नवमी तिथि को अभिजीत मुहुर्त में कन्या पूजन सर्वश्रेष्ठ है। हालांकि इन दोनों
तिथियों में पूरे दिन कन्या पूजन किया जा सकता
है। यदि 16 अप्रैल को चैत्र अष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो प्रातः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट का समय अभिजीत मुहुर्त है। और यदि आप नवमी को कन्या पूजन करना चाहते हैं तो दिनांक 17 अप्रैल 2024 को कन्या पूजन कर सकते हैं।
*लेखक-: पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*