वीर बाल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुद्वारा सिंह संत बाबा जगत सिंह जी सीतापुर गौलापार हल्द्वानी में प्रतिभाग किया।
“वीर बाल दिवस” के अवसर पर दशमेश श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अमर बलिदान को नमन करते हुए कहा कि “वीर बाल दिवस” इन्हीं महानायकों को स्मरण करने का अवसर है। जिन्होंने भारत की संस्कृति, धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। कहा कि गुरु गोविंद सिंह साहब के चारों साहिबजादों का बलिदान न केवल भारतीय इतिहास बल्कि संपूर्ण विश्व इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। वीर साहिबजादों के अद्वितीय त्याग और बलिदान को चिर-स्मरणीय बनाने के लिए हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में गुरु गोबिंद सिंह जी के “प्रकाश पर्व” के अवसर पर 26 दिसंबर को “वीर बाल दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने का काम किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारे गौरवशाली इतिहास को संजोने और सहेजने के साथ-साथ हमारे वीर बलिदानियों के सपनों का भारत बनाने हेतु संकल्पबद्ध होकर कार्य किया जा रहा है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार भी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शिक्षा और संस्कारों के माध्यम से बच्चों में राष्ट्रप्रेम और नैतिक मूल्यों का विकास करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। कहा कि इस पवित्र अवसर पर उपस्थित सभी माता-पिता और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को हमारे नायकों के बारे में बताएं और उनकी वीर गाथाओं को सुनाएँ, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपनी संस्कृति, धर्म और परंपराओं पर गर्व का अनुभव करें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं। इसके पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिख फेडरेशन हल्द्वानी द्वारा गुरु तेग बहादुर स्कूल में मेरी सिखी मेरी शान प्रतियोगिता में पुरस्कृत हुए 10 बच्चों को पुरस्कार वितरित किया।
बता दें वीर साहिबजादों बाबा अजीत सिंह जी और बाबा जुझार सिंह जी ने मात्र 17 वर्ष और 15 वर्ष की आयु में चमकौर के युद्ध में अद्वितीय शौर्य और साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी ने केवल 9 और 6 वर्ष की आयु में सरहिंद के नवाब वजीर खान द्वारा दी गई अमानवीय यातनाओं का सामना किया, परंतु धर्म की रक्षा के अपने प्रण पर अडिग रहे।26 दिसंबर 1705 को उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया, लेकिन उन्होंने अपनी धार्मिक आस्था से समझौता करने के बजाय अपने प्राणों की आहुति दे दी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से गुरुद्वारा प्रबंधक राजेंद्र सिंह, संरक्षक बलजीत सिंह, राजेंद्र सिंह,गुरु वेद सिंह खजांची, जगतार सिंह सेक्रेटरी, इंद्रजीत सिंह, गुरजीत सिंह, गुरमीत सिंह, जगविंदर सिंह, भाजपा प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बिष्ट गोलापार भाजपा मंडल अध्यक्ष मुकेश बेलवाल आदि मौजूद थे।