नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे अवैध निर्माण व पेड़ों के कटान के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने व देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस मामले की सी बी आई जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व विजिलेंस से इस मामले के रिकॉर्ड सी बी आई को सौंपने के निर्देश दिए हैं ।
पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने बहस पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था और बुधवार को फैसला सुनाया गया । पिछली तिथि को कोर्ट अवैध निर्माण व पेड़ कटान में लिप्त लोगो के खिलाफ की गई कार्यवाही की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। सुनवाई के दौरान
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कोर्ट ने एक साल पहले पेड़ों के अवैध कटान के बारे में मुख्त सचिव को दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि अभी तक छह हजार पेड़ काटे जा चुके है और अब तक पांच जांच हो चुकी परन्तु फिर भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।
मुख्य सचिव ने भी अपने शपथपत्र में कहा था कि वे समय समय पर न्यायालय को की जा रही कार्यवाही के बारे में अवगत कराते रहेंगे, परंतु विगत एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उनके द्वारा किसी भी तथ्य के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं कराया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक भी वृक्ष नही काटा जा सकता । परंतु वर्तमान में फॉरेस्ट सर्वे के अनुसार 6000 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं, जो देवभूमि उत्तराखंड के लिए एक काला धब्बा है। विभागाध्यक्ष द्वारा गठित जोशी कमेटी के अनुसार कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया गया है, लेकिन इन शीर्ष अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हुई।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होने की संभावना है । इस मामले में वन महानिदेशालय भारत सरकार की रिपोर्ट में पूर्ववर्ती वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत सहित कई वन संरक्षकों,प्रभागीय वनाधिकारियों, तत्कालीन प्रमुख सचिव वन के नाम अवैध निर्माण में उजागर किये हैं ।