नैनीताल । प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद के लिए बीएड समेत स्नातक में 50 प्रतिशत की बाध्यता को समाप्त करने सबंधी 50 से अधिक याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने एनसीटीई के दिशा निर्देशों के तहत एसटी, एसटी व विकलांगों को 5 प्रतिशत छूट देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उन्हीं अभ्यर्थियों को यह छूट मिलेगी जिनके स्तानक व बीएड में 45 से 50 के बीच मे अंक अर्जित किए हों। खण्डपीठ ने सामान्य अभ्यर्थियों के मामले पर सुनवाई करते हुए एनसीटीई से पूछा है कि कक्षा 6 से 8 तक के अध्यापकों की नियुक्ति के लिए 50 प्रतिशत की बाध्यता नहीं रखी है परन्तु प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर क्यों रखी ? इसका जबाव चार सप्ताह के भीतर कोर्ट को दें। सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि एनसीटीई ने एससी, एसटी व विकलांग वर्ग के अभ्यथियों को 5 प्रतिशत की छूट दिए जाने के लिए गाइड लाइन जारी की है। जिसके आधार पर राज्य सरकार उनको छूट दे रही है।
मामले के अनुसार उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद के लिए एनसीटीई व राज्य सरकार ने बीएड और स्नातक में 50 प्रतिशत अंक की बाध्यता रखी गई है। जो कि उच्च न्यायालय व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत है। इसलिये राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए बीएड व स्नातक में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को समाप्त करने के आदेश दिए जाएं।
याचिकर्ताओ का यह भी कहना है बीएड में 50 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी ही प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक बन सकते हैं। उससे कम अंक करने वाले नहीं। राज्य सरकार ने भी मार्च 2019 में सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में ये नियम लागू किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर छूट दी थी। पूर्व में उच्च न्यायालय ने 50 प्रतिशत से कम अंक अर्जित करने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए थे परन्तु रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगाई हुई थी।