*बहुत महत्वपूर्ण है विषुवत संक्रांति किन किन राशियों को है अपैट (चन्द्र बल) आइए जानते हैं क्यों?*
इस बार सन् 2024 में विश्वत संक्रांति दिनांक 13 अप्रैल 2024
दिन शनिवार को मनाई जाएगी। विश्वत संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण है। वर्ष का आरंभ यद्यपि चंद्रमास के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही होता है तथापि सौरमास क्रम में मेष संक्रांति से वर्ष का आरंभ उससे कम महत्वपूर्ण नहीं कहा जा सकता है। इस दिन सूर्य देव 12 राशियों को पूर्ण करके पुनः मेष राशि में प्रवेश करते
हैं। जिस प्रकार वर्ष अनेक राशियों के लिए (अपैट) चंद्र बल ठीक नहीं होता है इसी प्रकार विश्वत संक्रांति के आधार पर सौर वर्ष के अनुसार भी कई राशियों के लिए
वर्ष ठीक नहीं होता है। प्रायः रोग व्याधियों उस राशि के लिए प्रभावी होती हैं। सामान्य भाषा में उसे ” विषुवत संक्रांति बांये पैर जाना ” कहते हैं। प्रतिवर्ष 27 नक्षत्रों में
से 3 नक्षत्रों की स्थिति बाएं पैर में होती है। प्रत्येक वर्ष भिन्न-भिन्न 3 नक्षत्रों की स्थिति बाएं पैर में होती है। इसी क्रम में इस बार जिन तीन नक्षत्रों की स्थिति बाएं पैर में है।वह नक्षत्र आर्द्रा पुनर्वसु एवं पुष्य नक्षत्र हैं जोकि मिथुन राशि एवं कर्क राशि अन्तर्गत आते हैं। अतः इन दो राशियों के जातकों को दिनांक 13अप्रैल 2024 को चांदी के बाएं पैर की आकृति सफेद वस्त्र चावल दही चीनी आदि सफेद वस्तुएं एवं दक्षिणा दान करनी चाहिए।
ऐसा करने से रोग उक्त वर्ष के लिए कम प्रभावी होते हैं।
जहां तक संभव हो विश्वृत संक्रांति के दिन ही दान करें यदि संभव न हो सके तो वैशाख मास तक कभी भी कर
सकते हैं। विश्वत संक्रांति के दिन प्रत्येक व्यक्ति बूढ़े बच्चे रोगी आदि सभी को स्नान करना अनिवार्य होता है। शत प्रतिशत संपूर्ण स्नान अर्थात शरीर के जिस भाग में जल न पहुंचे वहां विष पैदा होता है ऐसी एक धारणा है। स्वस्थ व्यक्ति को तो संभव हो सके किसी पवित्र नदियों में स्नान
करना चाहिए यदि संभव न हो तो स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर या स्वर्ण स्पर्श किया गोमूत्र स्नान के जल में मिलाना चाहिए। इस दिन शरीर के किसी भी भाग में
तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए इससे भी विष पैदा होता है यह भी एक धारणा है। इस दिन कुमाऊं के कई भागों में लोहे की गर्म सलाका शरीर में लगाने का विधान
है। इससे शरीर का विष नष्ट होता है। देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं संभाग में इस दिन मेले भी लगते हैं। इन्हीं मेलों में द्वाराहाट स्याल्दे का बिखौती मेला प्रसिद्ध है। जो अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट से लगभग 8 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध शिव मंदिर विभाण्डेश्वर महादेव में लगता है।
लगभग 1 माह पूर्व से मेले की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है। क्योंकि यह उस क्षेत्र का बड़ा एवं मुख्य आयोजन है। कुमाऊं के प्रसिद्ध कुमाऊनी गायक स्वर्गीय
गोपाल बाबू गोस्वामी जी को याद किए बिना इस मेले का वर्णन पूर्ण नहीं हो सकता। इसी क्षेत्र के मूल निवासी होने
के कारण यह मेला उनके दिल में बसा हुआ था। शायद आपने गोस्वामी जी का प्रसिद्ध गीत जो बिखौती मेले पर
आधारित है ” अलघते बिखौती मेरि दुर्गा हरै गै ” अवश्य सुना होगा।
*लेखक पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*