अल्मोड़ा/नैनीताल । एसएस जीना अल्मोड़ा विवि के अल्मोड़ा परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग की शोध छात्रा डॉ प्रियंका जोशी के शोध अध्ययन में तुलसी के पौधे में मलेरिया के सबसे घातक परजीवी प्लास्मोडियम फॉसिपरम के विरुद्ध दवा के अवयव होने से संबंधित प्राकृतिक दवा की खोज की गई है। यह परजीवी तेजी से दवा प्रतिरोधी बनता जा रहा है, जिससे नई दवाओं की खोज की आवश्यकता बढ़ गई है।

 

शोध गाइड प्रोफेसर सुभाष चंद्र के निर्देशन में प्रियंका ने अपने शोध में 50 औषधीय पौधों का अध्ययन किया गया, जो परंपरागत व प्राकृतिक चिकित्सा में पहले से उपयोग में हैं।
इन पौधों से 1,438 फाइटोकैमिकल्स की जानकारी जुटाकर एक डाटाबेस बनाया गया। इनमें से 500 यौगिकों को उनकी दवा-जैसी विशेषताओं के आधार पर चुना गया। विवि के लिए इस महत्वपूर्ण शोध के लिए प्रियंका को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है।

 

ALSO READ:  सुभाष उपाध्याय ने ली उत्तराखंड हाईकोर्ट के एडिशनल न्यायधीश पद की शपथ । मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति जी.नरेंद्र ने दिलाई शपथ ।

मूल रूप से लोहाघाट के ग्राम चनोड़ा(ग्राम पंचायत गंगनौला)निवासी प्रियंका बचपन से ही मेधावी रही है। प्रियंका के पिता त्रिलोचन जोशी बीएसएफ में जबकि मां मंजू जोशी गृहणी हैं। चाचा किशोर जोशी नैनीताल दैनिक जागरण में वरिष्ठ संवाददाता व चाची उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल में राज्यस्तरीय शहरी विकास संस्थान में प्रशिक्षण प्रबंधक है। प्रियंका ने अपने इलाके की पहली छात्रा है, जिसने कठोर मेहनत से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। प्रियंका ने गुरुवार को अल्मोड़ा विवि में आयोजित मौखिकी परीक्षा पास कर पीएचडी की डिग्री हासिल की।

उसने इस सफलता का श्रेय माता-पिता, अल्मोड़ा विवि के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट के साथ अन्य गुरुजनों, परिवारजनों को दिया है।

दो प्रमुख जैविक लक्ष्य:
प्रियंका ने प्रयोगशाला में शोध अध्ययन के दौरान
के विरुद्ध इन यौगिकों का मॉलिक्यूलर डॉकिंग किया गया।
इस प्रक्रिया में 28 यौगिकों में इन लक्ष्यों से मजबूत जुड़ाव पाया गया। इनमें से आठ प्रमुख यौगिकों को आगे विषाक्तता परीक्षण और मॉलिक्यूलर डायनेमिक्स सिमुलेशन के लिए चुना गया। हालांकि इनमें से कुछ यौगिक विषाक्तता में असफल रहे, लेकिन शेष यौगिकों ने गुणधर्मों को सफलतापूर्वक पार किया और प्रोटीन लक्ष्य से मजबूत जुड़ाव दिखाया।
इन यौगिकों की संरचना ने यह संकेत दिया कि ये परजीवी के जीवन-चक्र को प्रभावित कर सकते हैं।
शोध में यह भी पाया कि जिन यौगिकों को डॉकिंग में अच्छे अंक मिले थे, वो सिमुलेशन में भी स्थिर इंटरैक्शन बनाए रखते हैं। यह किसी दवा की व्यवहारिक उपयोगिता को सिद्ध करता है। एमडी सिमुलेशन इस शोध का एक अहम हिस्सा रहा, जिसने सिर्फ सैद्धांतिक अनुमानों को ही नहीं परखा बल्कि यथार्थ में दवा बनने की संभावना को भी मजबूती दी। यह भविष्य की दवा-विकास प्रक्रिया को विश्वसनीय, सटीक और लक्षित बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You cannot copy content of this page