नैनीताल । उत्तराखंड हाई कोर्ट के पूर्व के आदेश पर जिला प्रशासन व वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर उनके द्वारा अतिक्रमणकारियों को दिए गए नोटिस को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए है कि वे इस सम्बंध में अपना एक प्रत्यावेदन सम्बंधित विभाग को दें और विभाग उनपर सुनवाई करके निर्णय पारित करें। पूर्व में कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और डी.एफ.ओ.को आदेश दीए थे कि राष्ट्रीय राजमार्ग , राजकीय राजमार्गों , राजस्व की भूमि व वन विभाग की भूमि पर से अतिक्रमण हटाने से पहले की और अतिक्रमण हटाने के बाद की फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से चार सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करें। इस आदेश पर प्रशासन ने पूरे प्रदेश में अवैध अतिक्रमण हटाने के नोटिस सभी अतिक्रमणकारियों को दिए। अतिक्रमणकारियों ने अपनी याचिकाओं में कहा है कि वे कई वर्षों से काबिज है।कईयों के पास वैध कागजात भी हैं परन्तु प्रशासन इस आदेश की आड़ में उनके मकान दुकान हटाने के नोटिस दिए जा रहे है। उनका पक्ष सुनने को तैयार नही है। इसलिए इसपर रोक लगाई जाय। इस मामले में आज उत्तरकाशी , देहरादून व अन्य जगहों के अतिक्रमण कारियों ने याचिकाएं दायर की थी। जबकि जनहित याचिका में समय की कमी के होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी जिसमें अब 15 सितम्बर को सुनवाई होगी।

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